Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या पर स्नान का शुभ मुहूर्त, जानें दिन का खास महत्व
महाकुंभ 2025: मौनी अमावस्या का दूसरा अमृत स्नान
प्रयागराज में इस समय महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन हो रहा है। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर दूसरा अमृत स्नान किया जाएगा। यह दिन सनातन धर्म में विशेष स्थान रखता है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
पहले अमृत स्नान का आयोजन 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन हुआ था, जिसमें लगभग 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। अब, मौनी अमावस्या पर दूसरा अमृत स्नान होगा, जिसमें करोड़ों श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद है।
मौनी अमावस्या का महत्व और परंपरा
मौनी अमावस्या, जिसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है, धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यधिक महत्व रखती है। इस दिन:
- मौन व्रत: श्रद्धालु मौन रहकर अपने मन को शुद्ध और शांत करते हैं।
- पितृ तर्पण: पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तर्पण किया जाता है।
- दान का महत्व: इस दिन दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।
मौनी अमावस्या पर स्नान और दान करने से पुण्य अर्जित होता है। पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से मन और आत्मा की शुद्धि होती है।
मौनी अमावस्या: शुभ मुहूर्त और स्नान का समय
पंचांग के अनुसार:
- माघ अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7:32 बजे से शुरू होकर 29 जनवरी की शाम 6:05 बजे तक रहेगी।
- शुभ मुहूर्त:
- प्रातःकालीन अमृत मुहूर्त: सुबह 5:25 से 6:18 तक
- संध्या मुहूर्त: सुबह 5:51 से 7:11 तक
श्रद्धालु इन शुभ समयों में गंगा स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
ज्योतिषीय संयोग: इस बार क्यों खास है मौनी अमावस्या?
इस साल मौनी अमावस्या पर चंद्रमा, बुध और सूर्य मकर राशि में त्रिवेणी योग बना रहे हैं। यह एक दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग है, जो इस दिन को और भी विशेष बनाता है। ज्योतिष के अनुसार, इस योग में किए गए स्नान, दान और पितृ तर्पण का लाभ कई गुना अधिक मिलता है।
महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान
29 जनवरी को महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान संगम तट पर होगा। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाएंगे। प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं।
निष्कर्ष
मौनी अमावस्या और महाकुंभ का यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव होगा। इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और ज्योतिषीय संयोग इसे और भी खास बनाते हैं। श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित करें और अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरें।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय सुझावों पर आधारित है। व्यक्तिगत निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।