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हेमंत सोरेन: जेल से जीत तक का सफर, आदिवासी राजनीति पर मजबूत पकड़

झारखंड में जेएमएम गठबंधन की बड़ी जीत, आदिवासी राजनीति को नई दिशा

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की अगुवाई वाले गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो कुछ समय पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक दबाव का सामना कर रहे थे, अब एक बार फिर आदिवासी राजनीति में अपनी पकड़ साबित कर चुके हैं।

जेल से शुरू हुआ संघर्ष

हेमंत सोरेन को ईडी ने कुछ महीनों पहले गिरफ्तार किया था, जिससे राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मच गई थी। गिरफ्तारी के बाद भी, उन्होंने जेल से ही अपनी पार्टी और गठबंधन को संगठित रखा। चंपई सोरेन को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाकर उन्होंने संगठन को एकजुट किया और चुनावी रणनीति बनाई।

आदिवासी राजनीति में पकड़

हेमंत सोरेन ने हमेशा झारखंड के आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा और उनकी भलाई के लिए आवाज उठाई है। उनकी नीतियों ने आदिवासी वोटरों के बीच गहरी छाप छोड़ी है। इस चुनाव में भी आदिवासी वोटरों ने जेएमएम और गठबंधन को भारी समर्थन दिया।

चुनाव परिणाम और गठबंधन की सफलता

चुनाव के परिणामों में जेएमएम गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला है। भाजपा और एनडीए के खिलाफ यह जीत न केवल हेमंत सोरेन की राजनीतिक दूरदर्शिता को दर्शाती है, बल्कि झारखंड में आदिवासी राजनीति की ताकत को भी उजागर करती है।

राजनीतिक संदेश

यह चुनाव परिणाम दर्शाता है कि झारखंड के मतदाता अपने अधिकारों और मुद्दों को लेकर सजग हैं। हेमंत सोरेन की सफलता उनके विकास योजनाओं और आदिवासी समुदाय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

निष्कर्ष

हेमंत सोरेन की इस जीत ने उन्हें झारखंड की राजनीति में और भी मजबूत कर दिया है। यह जीत न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे झारखंड के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि सही नेतृत्व और नीतियां किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं।

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