वायु प्रदूषण की सख्ती से परेशान दिहाड़ी मजदूर: ‘घर बैठेंगे तो खाएंगे क्या?’
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण सख्त पाबंदियां
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन ने कई सख्त नियम लागू किए हैं। इन नियमों के तहत निर्माण कार्य, फैक्ट्रियों का संचालन, और अन्य गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। हालांकि, इन सख्तियों ने दिहाड़ी मजदूरों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
दिहाड़ी मजदूरों की समस्याएं
- आर्थिक संकट:
- निर्माण और औद्योगिक कार्य बंद होने के कारण दिहाड़ी मजदूरों के पास रोजगार के अवसर नहीं हैं।
- “अगर काम नहीं करेंगे, तो परिवार कैसे चलेगा?” यह सवाल हर मजदूर की जुबान पर है।
- रोजमर्रा की जरूरतें:
- काम बंद होने के कारण मजदूरों के सामने खाने-पीने की चीजों का संकट खड़ा हो गया है।
- कई मजदूरों के लिए किराया और बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी चुनौती बन गया है।
प्रदूषण और मजदूरों की कठिनाइयां
- पर्यावरणीय सख्ती का असर:
- प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध आवश्यक हैं, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव उन मजदूरों पर पड़ रहा है, जिनकी आय दिहाड़ी पर निर्भर है।
- स्वास्थ्य जोखिम:
- प्रदूषण के कारण मजदूरों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।
- मास्क और दवाइयों जैसी जरूरतें उनकी पहुंच से बाहर हैं।
मजदूरों की अपील
- काम की अनुमति:
मजदूरों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय जरूरी हैं, लेकिन उनके लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था की जाए। - सरकारी सहायता:
कई मजदूरों ने सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की है ताकि वे इस मुश्किल समय में अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें।
प्रशासन का कदम
- प्रदूषण पर नियंत्रण:
प्रशासन ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाई है। - राहत उपाय:
हालांकि, मजदूरों के लिए किसी विशेष राहत की घोषणा अभी तक नहीं की गई है।
निष्कर्ष
प्रदूषण के खिलाफ कदम उठाना जरूरी है, लेकिन दिहाड़ी मजदूरों की परेशानियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। सरकार को मजदूरों के लिए वैकल्पिक रोजगार और आर्थिक सहायता के उपाय करने चाहिए, ताकि प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ उनके जीवनयापन की कठिनाइयों का समाधान भी हो सके।