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रूस की नई परमाणु नीति से बढ़ा तीसरे विश्व युद्ध का खतरा

क्या है रूस की नई नीति?

रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने हाल ही में घोषणा की है कि नाटो द्वारा रूस पर दागी गई किसी भी मिसाइल को सीधा हमला माना जाएगा। इसके जवाब में रूस व्यापक विनाशकारी हथियारों (WMD) का इस्तेमाल कर सकता है। यह प्रतिक्रिया उन सभी ठिकानों पर की जा सकती है, जो नाटो के हैं, चाहे वे किसी भी देश में स्थित हों।

परमाणु हमले का जवाब: अब नए नियम

नई नीति के तहत पारंपरिक मिसाइल हमले को भी परमाणु हमले के समान गंभीरता से लिया जाएगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि रूस किसी भी हमले को हल्के में नहीं लेगा। मेदवेदेव ने इसे संभावित तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत के रूप में चेतावनी दी है।

क्या है नई नीति का उद्देश्य?

रूस की इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य पश्चिमी देशों और नाटो को स्पष्ट संदेश देना है कि रूस पर किसी भी प्रकार का हमला गंभीर परिणाम ला सकता है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि यह नीति उन देशों के लिए भी चेतावनी है जो रूस के खिलाफ किसी हमले में भाग लेते हैं।

पिछली और नई नीति में अंतर

  • पुरानी नीति (2020):
    रूस केवल परमाणु हथियारों का उपयोग तभी करेगा, जब उस पर परमाणु हमला हो या देश के अस्तित्व को खतरा हो।
  • नई नीति:
    अब पारंपरिक मिसाइल हमलों को भी परमाणु जवाबी हमले के दायरे में लाया गया है।

दुनिया के लिए खतरे की घंटी

इस नई नीति से अंतर्राष्ट्रीय तनाव और बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे वैश्विक शांति पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच, पश्चिमी देशों की भागीदारी को लेकर रूस का यह कड़ा रुख तनाव को और बढ़ा सकता है।

निष्कर्ष

रूस की नई परमाणु नीति वैश्विक सुरक्षा के लिए चुनौती बन गई है। यह स्थिति सभी देशों से संयम और कूटनीतिक समाधान की मांग करती है। अगर इस दिशा में सही कदम नहीं उठाए गए, तो दुनिया को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

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