रिटायरमेंट में सिर्फ 51 दिन बचे, फिर भी वेटिंग लिस्ट में डाले गए योगी सरकार के वरिष्ठ IAS अधिकारी मनोज सिंह; जानें इनसाइड स्टोरी
उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ IAS अधिकारी और योगी सरकार के महत्वपूर्ण अधिकारी मनोज सिंह को रिटायरमेंट से पहले वेटिंग लिस्ट में डालने का मामला सुर्खियों में आ गया है। मनोज सिंह, जो कि अपनी सेवा के आखिरी चरण में हैं और जिनके रिटायरमेंट में केवल 51 दिन बचे हैं, अचानक से “वेटिंग फॉर पोस्टिंग” की स्थिति में आ गए हैं। इस फैसले ने प्रशासनिक गलियारों में खलबली मचा दी है और इसके पीछे की वजहों को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं।
मनोज सिंह का प्रशासनिक सफर और कद
मनोज सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के एक वरिष्ठ और कद्दावर IAS अधिकारी हैं, जिनके पास प्रशासनिक अनुभव और प्रभावशाली रिकॉर्ड है। वे अपने सेवा काल में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं और योगी सरकार में उन्हें कई अहम जिम्मेदारियां दी गई थीं। सिंह ने राज्य में विकास योजनाओं के कार्यान्वयन और प्रशासनिक सुधारों में बड़ा योगदान दिया है। इसके बावजूद, रिटायरमेंट से पहले उन्हें वेटिंग में डालना एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
वेटिंग लिस्ट में डालने के पीछे के कारण
सूत्रों के अनुसार, इस फैसले के पीछे कुछ अंदरूनी कारण हो सकते हैं। एक ओर यह भी चर्चा है कि मनोज सिंह और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के बीच मतभेद हो सकते हैं, या उनकी कार्यप्रणाली को लेकर सरकार में असंतोष था। हालांकि, सरकार ने इस पर कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है, लेकिन प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय कुछ नीतिगत मतभेदों या सियासी रणनीतियों का हिस्सा हो सकता है।
रिटायरमेंट के इतने करीब होते हुए वेटिंग में डालना असामान्य
एक वरिष्ठ अधिकारी को, रिटायरमेंट से केवल कुछ दिनों पहले, इस तरह वेटिंग लिस्ट में डालना असामान्य है। आमतौर पर ऐसे अधिकारियों को उनके कार्यकाल के अंतिम दिनों में एक स्थिर भूमिका में रखा जाता है ताकि वे सम्मानपूर्वक रिटायर हो सकें। प्रशासनिक जगत के जानकारों का मानना है कि सरकार के इस कदम का संदेश अन्य अधिकारियों के लिए भी हो सकता है।
विपक्ष का हमला और सरकार का रुख
इस फैसले पर विपक्ष ने भी सवाल खड़े किए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि योगी सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है और उन्हें अपनी मर्जी के अनुसार काम नहीं करने दिया जा रहा। वहीं, राज्य सरकार के प्रवक्ताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है और इसे प्रशासनिक कदम बताकर टालने की कोशिश की है।
आगे क्या?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में मनोज सिंह को कोई नई जिम्मेदारी सौंपी जाती है या उन्हें वेटिंग में ही रखा जाता है। उनके साथियों और करीबी लोगों का मानना है कि यह फैसला उनके कद और योग्यता के अनुकूल नहीं है। अगर वे रिटायरमेंट तक वेटिंग में ही रहते हैं, तो यह राज्य की ब्यूरोक्रेसी में एक अहम संदेश देने वाला कदम साबित हो सकता है।