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महाराष्ट्र सीएम की कुर्सी पर रस्साकशी: क्या शिंदे मानेंगे BJP का प्रस्ताव?

महाराष्ट्र की सियासत में मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के बीच खींचतान अपने चरम पर है। इस राजनीतिक रस्साकशी के कारण महाराष्ट्र में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह भी स्थगित हो गया है।


शिवसेना की दो-टूक मांग: शिंदे नहीं, तो क्या?

शिवसेना नेता लगातार यह कह रहे हैं कि एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री बनने चाहिए क्योंकि उन्होंने महायुति गठबंधन का चेहरा बनकर भारी जीत दिलाई। सूत्रों के अनुसार, शिंदे को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री पद या महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम बनने का प्रस्ताव दिया गया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया है।

शिंदे की मांगें:

  1. शिंदे ने बीजेपी से पूछा है कि यदि उन्हें सीएम नहीं बनाया जाता, तो उन्हें महायुति सरकार का संयोजक (कंवीनर) बनाया जाए।
  2. यदि फडणवीस मुख्यमंत्री बनते हैं, तो शिंदे चाहते हैं कि उनके बेटे श्रीकांत शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जाए।

बीजेपी की रणनीति: दो विकल्प

बीजेपी के पास अब दो मुख्य विकल्प बचे हैं:

  1. शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए रखना और शिवसेना के समर्थन को बनाए रखना।
  2. फडणवीस को सीएम बनाना और शिवसेना के साथ बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना।

बीजेपी को शिवसेना के समर्थन की जरूरत है, खासकर केंद्र में, जहां पार्टी 32 सीटों के अंतर से पूर्ण बहुमत से पीछे है।


शपथ ग्रहण में देरी: खींचतान का असर

बीजेपी ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है। शिवसेना नेताओं का कहना है कि शिंदे ने महाराष्ट्र में 57 सीटों पर जीत दर्ज कर महायुति को मजबूत बनाया, जबकि बीजेपी ने 132 सीटों पर जीत दर्ज की।

एनसीपी और महा विकास अघाड़ी का संदर्भ:

शिवसेना ने एनसीपी को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उनकी नीतियों ने बीजेपी की बारगेनिंग पावर कम कर दी है।


शिवसेना का संदेश: ‘सम्मान चाहिए, सीएम पद नहीं तो बराबरी का दर्जा दो’

शिवसेना ने इस पूरे प्रकरण को महाराष्ट्र की जनता के साथ किए वादों से जोड़ा है। उनका कहना है कि शिंदे, सीएम पद के लिए डिप्टी सीएम जैसे पद से नीचे जाकर काम नहीं कर सकते।

‘कंवीनर’ पद की मांग:

यह कोई संवैधानिक पद नहीं है, लेकिन यूपीए सरकार में सोनिया गांधी के लिए यह पद बनाया गया था। शिवसेना चाहती है कि बीजेपी भी ऐसा ही कदम उठाए।


सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा?

बीजेपी में फैसले आमतौर पर दिल्ली आलाकमान से तय होते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए रखती है या कोई बीच का रास्ता निकालती है।

क्या होगा नतीजा?

महाराष्ट्र में सरकार बनने की संवैधानिक प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी, लेकिन सही मोलभाव न होने के कारण मामला फिलहाल लटका हुआ है। शिंदे गुट और बीजेपी के बीच इस रस्साकशी का अंतिम नतीजा आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की सियासत की दिशा तय करेगा।

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