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धूणी दर्शन विवाद: राजपरिवारों की परंपरा बनी टकराव की वजह, उदयपुर में मचा हंगामा

क्या है धूणी दर्शन?

उदयपुर: राजस्थान के उदयपुर में धूणी दर्शन को लेकर दो राजपरिवारों के बीच विवाद गहरा गया है। मेवाड़ राजपरंपरा के अनुसार, नए दीवान (उत्तराधिकारी) का राजतिलक तब तक अधूरा माना जाता है जब तक वह धूणी दर्शन और एकलिंगजी के दर्शन न कर ले। यह परंपरा मेवाड़ में शोक समाप्ति और राजगद्दी की मान्यता का प्रतीक है।

धूणी दर्शन पर क्यों हुआ विवाद?

हाल ही में दिवंगत महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिंह अपने राजतिलक के बाद धूणी दर्शन के लिए उदयपुर के सिटी पैलेस पहुंचे। लेकिन उनके चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने उन्हें महल में प्रवेश करने से रोक दिया। अरविंद सिंह का आरोप था कि विश्वराज सिंह महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्य नहीं हैं, इसलिए उन्हें धूणी दर्शन करने का अधिकार नहीं है।

विवाद ने लिया हिंसक रूप

  • तनावपूर्ण माहौल:
    विश्वराज सिंह के समर्थकों और महल के अंदर मौजूद लोगों के बीच तनाव बढ़ गया।
  • पत्थरबाजी:
    दोनों पक्षों के बीच पत्थरबाजी हुई, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
  • पुलिस हस्तक्षेप:
    घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर माहौल को शांत करने की कोशिश की।

प्रशासन ने किया हस्तक्षेप

  • उदयपुर के डीएम और सिटी एसपी ने स्थिति को नियंत्रण में लिया।
  • प्रशासन ने विवादित धूणी स्थल पर एक रिसीवर नियुक्त किया है।
  • प्रशासन ने दोनों पक्षों से शांतिपूर्ण तरीके से मामले को सुलझाने की अपील की।

राजपरिवार में संपत्ति विवाद की जड़

मेवाड़ राजघराने के बीच संपत्ति विवाद लंबे समय से चल रहा है।

  • एकलिंगजी मंदिर, सिटी पैलेस, और अन्य संपत्तियों के अधिकारों को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है।
  • महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह का राजतिलक हुआ, लेकिन धूणी दर्शन को लेकर विवाद अभी भी बना हुआ है।

परंपरा का महत्व

मेवाड़ की परंपराओं में धूणी दर्शन का विशेष महत्व है।

  • राजतिलक के बाद धूणी दर्शन और एकलिंगजी के दर्शन किए बिना नए दीवान को मान्यता नहीं दी जाती।
  • इस परंपरा के बिना शोक समाप्त नहीं माना जाता।

प्रशासन का बयान

उदयपुर के डीएम अरविंद पोसवाल ने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है।

  • “कानून-व्यवस्था सामान्य है। विवाद को सुलझाने के प्रयास जारी हैं। यदि कोई कानूनी कार्रवाई करनी होगी, तो वह की जाएगी।”

आगे का रास्ता

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मेवाड़ राजपरिवार के इस विवाद का समाधान कैसे होता है। धूणी दर्शन की परंपरा को लेकर गहराया यह विवाद न केवल राजपरिवार की परंपराओं का महत्व दर्शाता है, बल्कि समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती को भी उजागर करता है।

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