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तीन चेहरों पर मुस्कुराहट और कहीं जल गई आग! ब्रिक्स समिट में मोदी-शी के साथ पुतिन का यह इशारा अमेरिका समझ तो रहा होगा

आयोजित ब्रिक्स समिट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच का सामंजस्यपूर्ण दृश्य चर्चा का विषय बना। इस समिट में तीनों नेताओं की मुस्कुराहट और आपसी संवाद ने एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश दिया है, जो वैश्विक राजनीति में अमेरिका के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ एक एकजुटता का संकेत है।

नेताओं के बीच का सामंजस्य

ब्रिक्स समिट में मोदी, शी और पुतिन की मुस्कुराहट ने दिखाया कि तीनों देश एक दूसरे के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। इस दौरान, उनकी बातचीत और मोकाबला के साथ-साथ सहयोग के अवसरों की चर्चा भी हुई। इस तरह का सामंजस्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चिंता का विषय बन सकता है।

अमेरिका की चिंता

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक का उद्देश्य अमेरिका के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देना है। तीनों नेताओं के बीच सहयोग का यह माहौल अमेरिका को यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि क्या वे अपने वैश्विक नीतियों पर पुनर्विचार करें। यूक्रेन युद्ध, आर्थिक संकट और वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों पर अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

जलती आग की स्थिति

हालांकि, इस मुस्कुराते चेहरे के पीछे कहीं न कहीं जलती आग की स्थिति भी है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ टकराव जारी है, जैसे कि यूक्रेन युद्ध और व्यापारिक मतभेद। इस समिट में सहयोग की बातें कहीं न कहीं इस जलती आग को शांत करने का प्रयास भी हैं।

वैश्विक दृष्टिकोण

ब्रिक्स समिट में मोदी, शी और पुतिन की बातचीत ने यह स्पष्ट किया कि वे एक नए विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए तैयार हैं। इस एकजुटता ने विश्व के अन्य देशों को यह संदेश दिया है कि अमेरिका के दबाव के बावजूद, विकासशील देशों का एक साझा मंच तैयार हो रहा है।

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