तालिबानी मुल्ला उमर के बेटे से पहली बार क्यों मिले भारत के दूत, अफगानिस्तान संग दोस्ती से टेंशन में पाकिस्तान
भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में एक नया मोड़ आया है। भारत के दूत ने तालिबान के पूर्व प्रमुख मुल्ला उमर के बेटे से पहली बार मुलाकात की है, जो अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है। यह बैठक भारत-अफगानिस्तान के बीच बढ़ती दोस्ती का संकेत है, जो पाकिस्तान के लिए चिंता का कारण बन गई है।
मुल्ला उमर के बेटे से पहली मुलाकात
भारत के उच्चायुक्त ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के भीतर मुल्ला उमर के बेटे याकूब उमर से मुलाकात की। यह मुलाकात इसलिए अहम है क्योंकि मुल्ला उमर तालिबान के संस्थापक थे, और उनकी मृत्यु के बाद, उनका परिवार अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत ने इस मुलाकात को अफगानिस्तान के साथ बेहतर संबंध बनाने और राजनैतिक संवाद को आगे बढ़ाने के रूप में देखा है।
भारत और अफगानिस्तान की बढ़ती दोस्ती
भारत अफगानिस्तान का पुराना दोस्त रहा है और वहां विकास कार्यों में भी सक्रिय है। अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण में आने के बाद से भारत की स्थिति थोड़ी जटिल हो गई थी, लेकिन अब भारत तालिबान के साथ संधि और संवाद की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। ये बैठक इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
पाकिस्तान में खलबली
इस मुलाकात ने पाकिस्तान के लिए एक नया संकट खड़ा कर दिया है। पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान में अपनी धाक जमाने की कोशिश कर रहा है, और भारत के अफगानिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत करना पाकिस्तान की रणनीति को चुनौती देता है। पाकिस्तान को चिंता है कि भारत और अफगानिस्तान के बढ़ते रिश्ते पाकिस्तान के लिए राजनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से खतरे की घंटी हो सकते हैं।
भारत का उद्देश्य
भारत ने यह स्पष्ट किया है कि उसका उद्देश्य अफगानिस्तान के विकास में मदद करना और वहां स्थिरता लाने के लिए सकारात्मक योगदान देना है। साथ ही, भारत ने अफगानिस्तान में मानवाधिकार और शांति के मुद्दे पर तालिबान से संवाद बढ़ाने की कोशिश की है।