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जयशंकर का दौरा: चीन के चंगुल से निकलकर पड़ोसी मुल्क ने दिखाई आंखें

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का हालिया दौरा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना बनकर उभरा है। इस दौरे के दौरान, जयशंकर ने एक ऐसे पड़ोसी देश से मुलाकात की, जिसने चीन के प्रभाव से खुद को निकालने की कोशिश की है और अब वह उसे सीधे चुनौती देने लगा है।

दौरे का मुख्य उद्देश्य

जयशंकर का यह दौरा क्षेत्रीय सहयोग, व्यापारिक संबंधों और सुरक्षा मामलों पर चर्चा करने के लिए आयोजित किया गया था। उन्होंने इस अवसर पर पड़ोसी मुल्क की सरकार के साथ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की, जिसमें आतंकवाद, आर्थिक विकास और चीन के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई गई।

चीन के प्रति नए रुख का संकेत

पड़ोसी देश ने चीन के प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव दिखाया है। यह बदलाव तब आया है जब चीन ने अपनी शक्ति बढ़ाने और अपने पड़ोसी देशों पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश की है। जयशंकर के दौरे के दौरान, इस देश के नेताओं ने खुलकर चीन की नीतियों की आलोचना की और यह संकेत दिया कि वे अब अपने हितों की रक्षा के लिए ज्यादा सतर्क रहेंगे।

खरी-खरी सुनाई

दौरे के दौरान, जयशंकर ने भी इस मुल्क के नेताओं को भारत की मदद और सहयोग की पेशकश की। इस दौरान, उन्होंने चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हम सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि के लिए हम एक साथ काम करें।”

प्रतिक्रिया और संभावित परिणाम

इस दौरे के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि यह पड़ोसी मुल्क अब और अधिक स्वतंत्रता से अपने नीतिगत फैसले लेगा और चीन के प्रभाव से दूरी बनाने की कोशिश करेगा। इससे क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति में सुधार हो सकता है और भारत को एक मजबूत सहयोगी मिल सकता है।

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