चाबी से शुरू हुआ था विवाद, डबल ताले तक कैसे पहुंचा? केजरीवाल के छोड़े सरकारी बंगले पर बवाल की पूरी क्रोनोलॉजी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले को लेकर विवाद ने पिछले कुछ समय में राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह मामला तब शुरू हुआ जब केजरीवाल ने अपने बंगले को छोड़ने का निर्णय लिया, लेकिन बाद में इस पर विवाद बढ़ गया। यहाँ इस विवाद की पूरी क्रोनोलॉजी दी गई है:
1. बंगला खाली करने का निर्णय
- अरविंद केजरीवाल ने 2023 में अपने सरकारी बंगले को खाली करने का निर्णय लिया। उनका कहना था कि वह एक सामान्य जीवन जीना चाहते हैं और सरकारी आवास का उपयोग नहीं करना चाहते हैं।
2. बंगले की चाबी लौटाने में विवाद
- जब केजरीवाल ने बंगला खाली किया, तो उन्होंने चाबी लौटाने में देरी की। इसके बाद, आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ताओं और विरोधियों के बीच इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गई।
3. दिल्ली सरकार की कार्रवाई
- दिल्ली सरकार ने केजरीवाल के बंगले को डबल ताले से बंद करने की प्रक्रिया शुरू की। इस निर्णय का उद्देश्य बंगले की सुरक्षा सुनिश्चित करना और भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचना था।
4. राजनीतिक प्रतिक्रिया
- इस विवाद ने राजनीतिक रूप से गर्म माहौल पैदा कर दिया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह सरकारी संपत्ति का सही तरीके से उपयोग नहीं कर रहे हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बताया।
5. सामाजिक मीडिया पर बहस
- इस विवाद के बीच, सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस तेज हो गई। कई लोगों ने केजरीवाल के बंगले की स्थिति पर टिप्पणियाँ कीं और इसे सरकारी खर्चे की बर्बादी बताया।
6. केजरीवाल की प्रतिक्रिया
- केजरीवाल ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि बंगला खाली करने का निर्णय उनका व्यक्तिगत था और इसे राजनीति से जोड़ा जाना गलत है।
7. वर्तमान स्थिति
- फिलहाल, यह मामला दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। सरकारी बंगले को लेकर उठे विवाद ने न केवल केजरीवाल की छवि पर सवाल उठाया है, बल्कि यह दिल्ली में सत्तारूढ़ AAP के लिए भी चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।