क्या आरबीआई घटाएगा ब्याज दरें? वित्त मंत्रियों के सुझाव पर बढ़ा दबाव
भारतीय बैंकों की ऊंची ब्याज दरों पर चर्चा
भारत में वर्तमान में बैंकों की ऋण पर ब्याज दरें 8-10% के बीच हैं, जो विकसित देशों जैसे अमेरिका की तुलना में काफी अधिक हैं। अमेरिका में ब्याज दरें औसतन 4-5% हैं। इस अंतर के कारण भारत में आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ सकता है।
वित्त मंत्रियों का आरबीआई से आग्रह
- पीयूष गोयल का बयान:
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति को ब्याज दरों के निर्धारण का आधार बनाना सही नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि आरबीआई को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए। - निर्मला सीतारमण का सुझाव:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी उच्च ब्याज दरों के चलते निवेश और उपभोग पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती पर विचार करने की अपील की।
आरबीआई का क्या रुख है?
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि दिसंबर में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में इस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मौद्रिक नीति तय करते समय हमेशा संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है।
महंगाई और ब्याज दर का समीकरण
- अक्टूबर 2024 में भारत की खुदरा महंगाई दर 6.2% रही, जो आरबीआई की तय सीमा 6% से अधिक है।
- उच्च मुद्रास्फीति दर के चलते आरबीआई पर ब्याज दरों को स्थिर रखने का दबाव है।
क्या हो सकता है फैसला?
दिसंबर की बैठक में यह तय होगा कि आरबीआई ब्याज दरों में कोई बदलाव करता है या नहीं। जहां एक ओर आर्थिक विकास को गति देने के लिए दरें कम करने की जरूरत है, वहीं मुद्रास्फीति के दबाव को देखते हुए दरें स्थिर रखने का भी विकल्प हो सकता है।
निष्कर्ष
आरबीआई के लिए यह एक कठिन निर्णय है। वित्त मंत्रियों के सुझावों और आर्थिक परिस्थितियों के बीच संतुलन बनाते हुए, केंद्रीय बैंक को तय करना होगा कि ब्याज दरों में कटौती की जाए या नहीं। दिसंबर की बैठक इस दिशा में अहम साबित होगी।