कोरोना से जितने लोग मरे, उससे ज्यादा तो प्रदूषण से हर साल मरते हैं, एम्स के पूर्व डायरेक्टर का खुलासा डराने वाला है!
दिल्ली और अन्य शहरों में बढ़ते प्रदूषण के मामले में एक गंभीर चेतावनी सामने आई है। एम्स के पूर्व निदेशक ने हाल ही में कहा कि हर साल प्रदूषण से मरने वालों की संख्या कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या से कहीं ज्यादा है। यह एक डराने वाला खुलासा है जो लोगों के स्वास्थ्य और जीवन की गंभीरता को उजागर करता है।
प्रदूषण की भयावहता
पूर्व निदेशक ने कहा कि प्रदूषण, विशेष रूप से वायु प्रदूषण, स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है और यह विभिन्न बीमारियों का कारण बनता है। हर साल लाखों लोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार होते हैं, जो सीधे तौर पर वायु प्रदूषण से संबंधित हैं।
आंकड़े और तथ्य
आंकड़ों के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि वायु प्रदूषण हर साल लगभग 7 मिलियन लोगों की जान ले लेता है। इसमें से अधिकांश मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं, जहां वायु गुणवत्ता का स्तर बहुत खराब है। इसके मुकाबले, कोरोना महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर लाखों लोग अपनी जान गवा चुके हैं, लेकिन प्रदूषण से हर साल होने वाली मौतें इसके आंकड़ों को पीछे छोड़ देती हैं।
स्वास्थ्य संकट
इस चेतावनी ने सरकारों और नीति निर्माताओं को सोचने पर मजबूर किया है। प्रदूषण एक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है, और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। पूर्व निदेशक ने यह भी कहा कि हमें प्रदूषण के स्रोतों को पहचानकर उन्हें नियंत्रित करने की आवश्यकता है, जैसे कि औद्योगिक प्रदूषण, वाहन उत्सर्जन और कचरे का प्रबंधन।
उपाय और समाधान
- कानूनों का कड़ाई से पालन: प्रदूषण नियंत्रण के लिए मौजूदा कानूनों का कड़ाई से पालन करना आवश्यक है।
- हरित ऊर्जा का उपयोग: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाना और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता को कम करना।
- जन जागरूकता: लोगों को प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करना और उन्हें स्वच्छता और हरित जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना।