ओखला WTE प्लांट के आसपास लोग गंभीर बीमारियों के शिकार, 15 साल से साफ हवा के लिए लड़ रहे लोग, अब मिलेगी राहत
ओखला WTE (वेस्ट-टू-एनेर्जी) प्लांट के आसपास के इलाके में लंबे समय से रह रहे लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इस प्लांट के कारण प्रदूषण और हानिकारक गैसों के उत्सर्जन ने इलाके की हवा को जहरीला बना दिया था, जिससे निवासियों को सांस लेने में कठिनाई, अस्थमा, और अन्य गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा है। लेकिन अब, लगभग 15 साल से संघर्ष कर रहे लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
ओखला WTE प्लांट का असर
ओखला वेस्ट-टू-एनेर्जी प्लांट, जो कूड़े से बिजली बनाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था, अपने प्रदूषण के कारण पिछले कई वर्षों से विवादों में है। यहां से निकलने वाले प्रदूषणकारी तत्वों और धुएं ने आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। कई निवासियों ने इस प्लांट के चलते अपनी स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायतें की हैं, जिनमें सांस की बीमारियां, एलर्जी, और गंभीर त्वचा संक्रमण शामिल हैं।
15 साल से चल रही है लड़ाई
इस प्रदूषण से बचाव के लिए ओखला वेस्ट रिसिड्यूल डंपिंग प्रोजेक्ट और माहुली नगर जैसे क्षेत्रों के निवासियों ने 15 साल से कानूनी लड़ाई लड़ी है। उनका मुख्य उद्देश्य इस प्लांट के प्रदूषण को नियंत्रित करना और आसपास की हवा को शुद्ध बनाना था। इस संघर्ष के दौरान उन्होंने कई बार विरोध प्रदर्शन किए और अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए उपायों की मांग की।
अब मिलेगी राहत?
अभी ताजातरीन जानकारी के अनुसार, दिल्ली सरकार और डीडीए ने ओखला WTE प्लांट के प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ नए उपायों पर काम करना शुरू किया है। इन उपायों में प्लांट की कार्यप्रणाली में बदलाव, प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए उपकरणों की स्थापना, और आसपास के इलाकों में स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों को लागू करना शामिल है।
इसके अलावा, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने भी ओखला WTE प्लांट की निगरानी बढ़ा दी है और प्लांट के उत्सर्जन को मानक स्तर पर लाने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है।
अधिकारियों का बयान
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम ओखला वेस्ट-टू-एनेर्जी प्लांट में प्रदूषण नियंत्रण उपायों को कड़ा करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि इस प्लांट से निकलने वाले हानिकारक गैसों और धुएं का प्रभाव आसपास के इलाकों पर न पड़े। यह कदम स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।”