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इंटरव्यू: ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल अगर संसद से पास भी हो जाए तो क्या अदालत में फंसेगा?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल के संभावित कानूनी मुद्दों पर अपनी राय साझा की। उनके बयान ने इस विवादास्पद बिल के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए हैं।

अभिषेक मनु सिंघवी का बयान

  1. बिल के कानूनी पहलू:
    • सिंघवी ने कहा, “यदि ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल संसद से पास हो भी जाता है, तो इसके अदालत में फंसने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।”
    • उन्होंने बताया कि इस बिल के कानून बनने के बाद, इसके कई प्रावधानों को चुनौती दी जा सकती है, जो इसे अदालतों के सामने खड़ा कर सकते हैं।
  2. संविधान और विधायिका की भूमिका:
    • सिंघवी ने जोर देते हुए कहा कि यह बिल संविधान के मौजूदा ढांचे के खिलाफ हो सकता है। उन्होंने विशेष रूप से संविधान के मूल तत्वों और चुनावी प्रक्रिया के स्वतंत्रता की ओर इशारा किया।
    • उन्होंने कहा, “इस बिल का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को केंद्रीकृत करना है, जो संविधान के तहत राज्यों के अधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन कर सकता है।”
  3. आदालत की संभावित भूमिका:
    • उन्होंने इस बात की संभावना जताई कि यदि इस बिल को संसद से मंजूरी मिलती है, तो विभिन्न कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञ अदालत में इसके खिलाफ याचिकाएँ दायर कर सकते हैं।
    • सिंघवी ने कहा, “आदालत को इस बिल की संवैधानिकता की समीक्षा करनी होगी और यह देखने की आवश्यकता होगी कि यह संविधान के मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप है या नहीं।”

बिल की पृष्ठभूमि और प्रभाव

  1. ‘एक देश, एक चुनाव’ का प्रस्ताव:
    • ‘एक देश, एक चुनाव’ का प्रस्ताव भारत में केंद्रीय और राज्य चुनावों को एक ही समय पर आयोजित करने का विचार है। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल और कम खर्चीला बनाना है।
    • हालांकि, इस प्रस्ताव के समर्थक इसे चुनावी व्यवस्था की दक्षता बढ़ाने का तरीका मानते हैं, जबकि विरोधी इसे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ मानते हैं।
  2. संवैधानिक और कानूनी चुनौतियाँ:
    • बिल की संवैधानिकता पर उठने वाले सवाल इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह मौजूदा संविधान और कानूनों के अनुरूप है या नहीं।
    • यदि इस बिल को कानून में बदल दिया जाता है, तो इसकी कई प्रावधानों पर अदालत में विचार-विमर्श हो सकता है, जो इसके लागू होने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

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