भारत का अपना AI मॉडल: ChatGPT और DeepSeek R1 को टक्कर देने की तैयारी
AI को चुनौती देने की तैयारी में भारत, ChatGPT और DeepSeek R1 को टक्कर देने के लिए सरकार का बड़ा ऐलान
भारत का अपना AI सिस्टम बनाने की योजना
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भारत एक बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। सरकार ने घोषणा की है कि भारत अपना खुद का AI Large Language Model (LLM) विकसित करेगा, जो चैटबॉट और अन्य AI-संचालित टूल्स के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह मॉडल विशेष रूप से भारतीय भाषाओं, संस्कृति और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा।
सरकार की बड़ी पहल: 10,370 करोड़ रुपये का निवेश
देश में AI तकनीक के विकास को गति देने के लिए भारत सरकार ने 10,370 करोड़ रुपये के इंडियाएआई मिशन की घोषणा की है। इस मिशन के तहत एक अत्याधुनिक AI मॉडल विकसित किया जाएगा, जो OpenAI के ChatGPT और चीन के DeepSeek R1 जैसी विदेशी AI तकनीकों को टक्कर देगा।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह पहल भारत को AI के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी और देश के स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और उद्योगों को नए अवसर प्रदान करेगी।
18,793 GPU के साथ कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा
AI मॉडल को प्रशिक्षित करने और उसे संचालित करने के लिए सरकार ने 18,793 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPU) को तैनात करने की योजना बनाई है। इसके लिए 10 प्रमुख टेक कंपनियों का चयन किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- हीरानंदानी समूह समर्थित योटा
- जियो प्लेटफॉर्म
- टाटा कम्युनिकेशंस
- ई2ई नेटवर्क
- सीएमएस कंप्यूटर
- सीटीआरएलएस डेटासेंटर
- लोकुज एंटरप्राइज सॉल्यूशंस
- नेक्स्टजेन डेटासेंटर
- ओरिएंट टेक्नोलॉजीज
- वेन्सिस्को टेक्नोलॉजी
स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं को मिलेगा फायदा
सरकार के इस कदम से भारतीय स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं को सीधे लाभ मिलेगा। वे इस AI मॉडल का उपयोग कर नई तकनीकों का विकास कर सकेंगे। इसके अलावा, सरकार अंतिम उपयोगकर्ताओं को AI सेवाओं पर 40% तक की सब्सिडी देने की भी योजना बना रही है।
अगले 4-8 महीनों में तैयार होगा भारत का अपना AI मॉडल
आईटी मंत्री वैष्णव ने कहा कि सरकार कम से कम छह AI डेवलपर्स के साथ बातचीत कर रही है और अगले 4-8 महीनों के भीतर एक विश्व स्तरीय भारतीय AI मॉडल तैयार हो सकता है।
निष्कर्ष
भारत सरकार का यह कदम AI के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे न केवल भारतीय उद्योगों और स्टार्टअप्स को नया प्लेटफॉर्म मिलेगा, बल्कि भारतीय भाषाओं और संस्कृति को भी डिजिटल रूप से संरक्षित और विकसित किया जा सकेगा।