NATO क्यों नहीं दे रहा यूक्रेन को सदस्यता? जानें रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच क्या हैं मुख्य अड़चनें
बार-बार अर्जी लगाने पर भी NATO क्यों नहीं दे रहा यूक्रेन को एंट्री? सबसे ताकतवर सैन्य गुट किससे डरा हुआ?
यूक्रेन की NATO में सदस्यता को लेकर उसकी सरकार और नागरिक लगातार अर्जी लगा रहे हैं, लेकिन सबसे ताकतवर सैन्य गुट NATO से इसे लेकर कोई ठोस जवाब नहीं मिल रहा है। यूक्रेन, जो रूस के खिलाफ युद्ध में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, NATO से जुड़ने के लिए काफी प्रयास कर चुका है, लेकिन इसके बावजूद NATO के सदस्य बनने की प्रक्रिया में अभी तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाए गए हैं। तो आखिर क्यों NATO यूक्रेन को अपनी सदस्यता नहीं दे रहा?
यूक्रेन की NATO सदस्यता: मुख्य अड़चनें
यूक्रेन की NATO में सदस्यता के लिए कई अड़चनें हैं, जिनका सामना उसे करना पड़ रहा है।
- रूस का विरोध: रूस की नजर में NATO का विस्तार, खासकर यूक्रेन के रूप में, उसकी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। रूस ने पहले ही यूक्रेन के NATO में शामिल होने को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती माना है। यदि NATO यूक्रेन को सदस्यता देता है, तो यह रूस और NATO के बीच एक निर्णायक युद्ध का कारण बन सकता है। इससे NATO, रूस से सीधे सैन्य टकराव की स्थिति में आ सकता है।
- आंतरिक असहमति: NATO के सदस्य देशों के बीच भी इस मुद्दे पर मतभेद हैं। कुछ देशों, जैसे कि बाल्टिक राज्य, पोलैंड और ब्रिटेन, यूक्रेन को जल्द से जल्द NATO में शामिल करने के पक्षधर हैं, जबकि अन्य सदस्य देशों, जैसे कि जर्मनी और फ्रांस, इसे लेकर ज्यादा सतर्क हैं। उनका मानना है कि NATO के विस्तार से यूरोप में स्थिति और भी तनावपूर्ण हो सकती है।
- सुरक्षा की गारंटी: NATO का एक अहम सिद्धांत है “कलेक्टिव डिफेंस”, यानी यदि किसी सदस्य देश पर हमला होता है, तो सभी सदस्य देशों को उसकी रक्षा करनी होती है। यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्र होने के कारण, NATO के लिए यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि यदि उसे यूक्रेन की रक्षा करनी पड़ी, तो वह इसे पूरी तरह से सक्षम रूप से कर सके। इसके अलावा, यूक्रेन की सैन्य स्थिति भी पूरी तरह से तैयार नहीं है, और इसका असर NATO की सामूहिक सुरक्षा पर पड़ सकता है।
क्या NATO से डरता है रूस?
रूस की सबसे बड़ी चिंता यह है कि NATO का यूक्रेन में विस्तार, रूस की सैन्य और राजनीतिक प्रभुत्व को कमजोर कर सकता है। रूस यह मानता है कि NATO की सदस्यता से यूक्रेन की स्थिति मजबूत होगी और यह रूस के खिलाफ खड़ा हो जाएगा। इसके अलावा, NATO की सदस्यता यूक्रेन को पश्चिमी सैन्य उपकरण और प्रौद्योगिकी तक अधिक पहुंच प्रदान करेगी, जो रूस के लिए चिंता का कारण है।
निष्कर्ष
NATO और यूक्रेन के बीच सदस्यता को लेकर अभी भी कई कठिनाइयां हैं। रूस के विरोध और NATO के भीतर मौजूद मतभेद, इस प्रक्रिया को और जटिल बना रहे हैं। हालांकि, यूक्रेन की दृढ़ इच्छाशक्ति और रूस के खिलाफ उसकी संघर्षशीलता NATO को इस दिशा में कदम उठाने के लिए दबाव डाल सकती है। लेकिन अब तक किसी ठोस समाधान की उम्मीद नहीं जताई जा रही है। आने वाले समय में रूस-यूक्रेन युद्ध और NATO की आंतरिक रणनीतियों के आधार पर यह मुद्दा और भी जटिल हो सकता है।