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दिल्ली महिला हेल्पलाइन 181 पर 4 महीने में आए 2 लाख से अधिक कॉल, सीट और छेड़छाड़ को लेकर बढ़ी शिकायतें

Delhi Metro में सीट को लेकर झगड़ा और छेड़छाड़: महिला हेल्पलाइन 181 पर 4 महीने में आए ढाई लाख कॉल

दिल्ली महिला हेल्पलाइन (181) पर हाल के महीनों में तेजी से बढ़ी कॉल्स की संख्या ने महिला सुरक्षा के मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। जुलाई से नवंबर 2024 के बीच हेल्पलाइन पर 2.5 लाख से अधिक कॉल आई हैं, जिनमें मुख्यत: मेट्रो में सीट को लेकर झगड़े और छेड़छाड़ की घटनाओं की शिकायतें शामिल हैं।

मेट्रो में सीट और छेड़छाड़ के बढ़ते मामले

दिल्ली मेट्रो में सीट को लेकर आए दिन झगड़े और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। हेल्पलाइन पर आई शिकायतों में मेट्रो में यात्रा करते समय महिलाओं को असहज महसूस कराने और सीट पर कब्जा करने की घटनाएं सबसे आम रही हैं। हेल्पलाइन 181 को ये कॉल्स दिल्ली मेट्रो के विभिन्न मार्गों से आईं, जिनमें महिलाओं ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट में अपने सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।

महिला हेल्पलाइन 181: एक संवेदनशील कदम

दिल्ली महिला हेल्पलाइन नंबर 181 एक महत्वपूर्ण सेवा है, जो महिलाओं को हर तरह की आपातकालीन स्थिति में सहायता प्रदान करती है। हेल्पलाइन की टीम महिलाओं की शिकायतों को तुरंत संबोधित करने के लिए काम करती है, और उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने की कोशिश करती है। हेल्पलाइन के द्वारा अब तक कई मामलों में समय रहते कार्रवाई की गई है, जिससे कई महिलाओं को राहत मिली है।

क्या है इन घटनाओं का असर?

इन घटनाओं में बढ़ोतरी से महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। महिला हेल्पलाइन की टीम ने इसे गंभीरता से लिया है और मेट्रो सुरक्षा अधिकारियों के साथ मिलकर इन घटनाओं की रोकथाम के लिए अतिरिक्त कदम उठाने की योजना बनाई है। इस तरह के मामलों में हेल्पलाइन के बढ़ते कॉल्स, लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के संकेत हैं कि महिलाएं अब अपनी सुरक्षा को लेकर अधिक सतर्क और जागरूक हो गई हैं।

निष्कर्ष

दिल्ली मेट्रो में सीट विवाद और छेड़छाड़ के मामलों में बढ़ोतरी से यह साफ हो गया है कि महिलाओं के लिए सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा का मुद्दा और अधिक गंभीर हो गया है। महिला हेल्पलाइन 181 का इस संदर्भ में अहम योगदान है और यह महिला सुरक्षा की दिशा में एक अहम कदम साबित हो रही है। यह उम्मीद की जाती है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं में कमी आएगी और महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर और अधिक सुरक्षित महसूस होगा।

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