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‘हर परिवार में 3 बच्चे होने चाहिए…’ मोहन भागवत के बयान पर राजनीतिक बहस

मोहन भागवत का बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या से जुड़े विषय पर अपनी राय रखते हुए कहा कि “आधुनिक जनसंख्या विज्ञान के अनुसार, परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या दर 2.1 से नीचे जाने पर यह समाज और देश के लिए चिंता का विषय बन सकता है।

जनसंख्या नियंत्रण पर नई बहस

भागवत के इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर इसे जनसंख्या नियंत्रण और आर्थिक स्थिरता से जोड़कर देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी तौला जा रहा है।

कांग्रेस और ओवैसी की प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या भागवत का यह विचार सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होगा। वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बयान की आलोचना करते हुए इसे समाज को बांटने वाला करार दिया। ओवैसी ने यह भी कहा कि इस तरह की बातें देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

जनसंख्या पर विचारधाराओं का टकराव

भागवत के बयान ने देश में जनसंख्या नीति और परिवार नियोजन को लेकर विचारधाराओं के टकराव को उजागर किया है। कुछ विशेषज्ञ इसे देश की जनसंख्या स्थिरता के लिए आवश्यक मानते हैं, जबकि अन्य इसे व्यक्तिगत अधिकारों और संसाधनों के वितरण के संदर्भ में चुनौतीपूर्ण मानते हैं।

आगे की राह

इस बयान के बाद राजनीतिक दलों और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच चर्चा और बहस तेज हो गई है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और सामाजिक संगठनों की ओर से इस विषय पर क्या दृष्टिकोण अपनाया जाता है।

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