पाकिस्तानी शिया और बरेलवी खुश नहीं लेकिन… जाकिर नाइक को बुलाकर क्या मकसद पूरा कर रहे शहबाज, एक्सपर्ट ने बताया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को पाकिस्तान बुलाकर एक नया राजनीतिक कदम उठाया है। हालांकि, इस फैसले पर पाकिस्तान के शिया और बरेलवी समुदायों में असंतोष की लहर है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कदम के पीछे शहबाज का एक रणनीतिक मकसद है।
जाकिर नाइक का विवादास्पद अतीत
जाकिर नाइक एक ऐसा नाम है, जिसे धार्मिक कट्टरता और विवादित बयानों के लिए जाना जाता है। भारत में उनकी गतिविधियों को लेकर विवाद उठ चुके हैं, और वह वर्तमान में भारत से भागकर विदेश में रह रहे हैं। पाकिस्तान में उनकी आमद को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, खासकर धार्मिक समुदायों से।
शिया और बरेलवी समुदायों की चिंता
शिया और बरेलवी समूहों के सदस्यों ने जाकिर नाइक की आमद को अस्वीकार किया है। उनका मानना है कि नाइक की विचारधारा उनके धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ है। शिया समुदाय का कहना है कि नाइक ने हमेशा अपने विचारों से मुसलमानों में विभाजन को बढ़ावा दिया है। बरेलवी संगठनों ने भी इस बात का विरोध किया है कि नाइक जैसे विवादास्पद उपदेशक को पाकिस्तान में आमंत्रित किया जा रहा है।
शहबाज शरीफ का रणनीतिक मकसद
विशेषज्ञों का मानना है कि शहबाज शरीफ का यह कदम राजनीतिक हितों से प्रेरित हो सकता है। नाइक को बुलाकर वे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के साथ संबंध बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यह कदम शहबाज को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित कर सकता है जो कि धार्मिक सहिष्णुता और एकता को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है।
राजनीतिक समीकरण
पाकिस्तान में शिया और बरेलवी समुदायों का राजनीतिक प्रभाव महत्वपूर्ण है। अगर शहबाज शरीफ उनके समर्थन को प्राप्त करने में सफल होते हैं, तो यह उनके लिए एक बड़ा राजनीतिक लाभ हो सकता है। नाइक की उपस्थिति से संभावित तौर पर उनकी पार्टी को धार्मिक वोट बैंक में मजबूती मिल सकती है।


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