एक सलाह और जस्टिस संजीव खन्ना को हमेशा के लिए छोड़नी पड़ गई अपनी पसंदीदा चीज, नए CJI ने सुनाया किस्सा
भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने जस्टिस संजीव खन्ना से जुड़ा एक दिलचस्प और भावुक किस्सा सुनाया, जो उन्होंने हाल ही में अपने एक कार्यक्रम में साझा किया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि एक सलाह के कारण जस्टिस संजीव खन्ना को अपनी पसंदीदा चीज से हमेशा के लिए विचलित होना पड़ा। यह किस्सा न्यायपालिका के भीतर की एक अति रोचक लेकिन सच्ची कहानी को दर्शाता है, जिसमें व्यक्तिगत बलिदान और कर्तव्य की भावना की झलक मिलती है।
किस्सा: एक प्यारी आदत को छोड़ना पड़ा
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जस्टिस संजीव खन्ना को उनकी पसंदीदा चीज को छोड़ने का फैसला खुद उनके करीबी दोस्त ने दी एक सलाह के आधार पर लिया था। जस्टिस खन्ना, जो एक अत्यधिक समर्पित और काम के प्रति वफादार न्यायधीश हैं, बहुत समय से पढ़ने और किताबों को अपने जीवन का अहम हिस्सा मानते थे। लेकिन एक दिन उन्होंने एक ऐसी सलाह सुनी, जो उनके जीवन का एक अहम मोड़ बन गई।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि जस्टिस खन्ना के लिए किताबें और अध्ययन हमेशा उनके जीवन का हिस्सा थे, लेकिन एक मित्र ने उन्हें बताया कि “तुमने काम में इतनी गहरी डुबकी लगाई है, अब तुम्हें अपने व्यक्तिगत समय को भी महत्व देना होगा। अगर तुम अपने जीवन में संतुलन नहीं बनाए रखोगे, तो यह तुम्हारी ऊर्जा को समाप्त कर सकता है।”
समर्पण और कर्तव्य
इस सलाह के बाद जस्टिस संजीव खन्ना ने अपनी आदतों को थोड़ा बदलने का फैसला किया और कुछ समय के लिए अपनी पसंदीदा चीज किताबों से दूरी बना ली। जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह किस्सा सुनाते हुए कहा कि यह घटना उनके जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पल था, क्योंकि एक व्यक्ति का अपने कर्तव्यों और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाना बेहद जरूरी है।
नए CJI की भूमिका
नए CJI के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह किस्सा सुनाने के साथ ही न्यायपालिका में संतुलन और समर्पण की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक न्यायधीश का जीवन सिर्फ अदालतों में फैसला सुनाने तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें व्यक्तिगत बलिदान और समय प्रबंधन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।