महाराष्ट्र चुनाव: विदर्भ की 62 सीटें सत्ता की कुंजी, जो जीतेगा वही बनेगा ‘सिकंदर’
विदर्भ का महत्व
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान जारी है। चुनाव में विदर्भ क्षेत्र की 62 सीटों को सत्ता का रास्ता तय करने वाला माना जा रहा है। ऐतिहासिक रूप से, जो भी दल इस क्षेत्र में अधिकतम सीटें जीतता है, वही राज्य की सत्ता पर काबिज होता है।
भाजपा और कांग्रेस की रणनीति
- भाजपा:
भाजपा, जो महायुति गठबंधन का हिस्सा है, ने राज्य में लगभग 150 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से 47 सीटें विदर्भ से हैं। - कांग्रेस:
कांग्रेस ने अपने 102 प्रत्याशियों में से 39 को विदर्भ क्षेत्र से उतारा है।
दोनों ही पार्टियां इन सीटों पर अपना प्रभाव बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही हैं, क्योंकि यह क्षेत्र सत्ता का संतुलन तय करता है।
विदर्भ: भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों का मैदान
इस क्षेत्र में कई दिग्गज नेताओं का मुकाबला हो रहा है:
- भाजपा:
देवेंद्र फडणवीस (नागपुर दक्षिण-पश्चिम), चंद्रशेखर बावनकुले (कैम्पटी), सुधीर मुनगंटीवार (बल्लारपुर)। - कांग्रेस:
नाना पटोले (साकोली), विजय वडेट्टीवार (ब्रह्मपुरी)।
संघ का गढ़
विदर्भ न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि आरएसएस मुख्यालय नागपुर के कारण भी भाजपा के लिए अहम है। यह इलाका भाजपा को अपनी पहली सरकार (2014) बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला साबित हुआ था।
पिछले चुनावों का रिकॉर्ड
- 2014 में भाजपा:
विदर्भ की 62 सीटों में से 44 पर जीत हासिल कर सरकार बनाई। - 2019 में भाजपा:
प्रदर्शन कमजोर रहा, और सीटें घटकर 29 पर आ गईं।
दोनों दलों की नजरें विदर्भ पर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार भी विदर्भ का प्रदर्शन यह तय करेगा कि मुंबई में मंत्रालय का नियंत्रण भाजपा के पास जाएगा या कांग्रेस की महा विकास आघाडी (एमवीए) के हाथ लगेगा।
चुनाव परिणाम का इंतजार
मतदान के बाद 23 नवंबर को परिणाम घोषित होंगे, जिससे यह साफ होगा कि कौन बनेगा महाराष्ट्र का ‘सिकंदर।’