‘…तो पाकिस्तान लाहौर नहीं लखनऊ तक होता’, पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब के बयान पर मचा हंगामा
उत्तर प्रदेश के पूर्व सांसद और समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद अदीब के एक विवादित बयान ने तूल पकड़ लिया है। उन्होंने कहा कि अगर भारत में गांधी जी की राह न होती, तो पाकिस्तान का नक्शा लाहौर तक नहीं, बल्कि लखनऊ तक होता। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है और उनके खिलाफ जमकर विरोध हो रहा है।
विवादास्पद बयान
पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने यह बयान एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दिया। उन्होंने पाकिस्तान के निर्माण के कारणों पर बात करते हुए कहा कि अगर महात्मा गांधी का मार्गदर्शन और उनके सिद्धांत न होते, तो आज पाकिस्तान का आकार कहीं ज्यादा बड़ा होता। अदीब के मुताबिक, गांधीजी के अहिंसा और सर्वधर्म समभाव के सिद्धांतों की वजह से ही भारत का विभाजन लाहौर तक हुआ और अगर वे होते तो पाकिस्तान का विभाजन कहीं और तक हो सकता था।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस बयान के सामने आने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे देश की एकता और अखंडता के खिलाफ बयान करार दिया है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि इस प्रकार के बयान भारत के संप्रभुता और संस्कारों के खिलाफ हैं, जो देशवासियों के बीच नफरत और बंटवारे को बढ़ावा देते हैं।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “हम इस बयान की कड़ी निंदा करते हैं। इस तरह के बयान भारतीय समाज में एकता और भाईचारे की भावना को चोट पहुंचाते हैं।”
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने इसे एक गैरजिम्मेदाराना बयान बताया और कहा कि अदीब को यह बयान देने से पहले सोचने की जरूरत थी। कांग्रेस ने कहा, “यह बयान पूरी तरह से देश के एकता और अखंडता को कमजोर करने वाला है और इससे देशवासियों की भावनाएं आहत हो सकती हैं।”
अदीब का बचाव
पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने अपने बयान पर माफी मांगने से इंकार किया है। उन्होंने सफाई दी कि उनका बयान इतिहास और विभाजन के संदर्भ में था और उन्होंने गांधी जी के सिद्धांतों के महत्व को बताया था। अदीब का कहना है, “मेरे बयान का उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं था। यह भारत के विभाजन और गांधी जी की भूमिका को लेकर था, जिससे देश में शांति और सौहार्द बना रहे।”
सामाजिक और ऐतिहासिक मुद्दा
इस बयान के बाद, कई ऐतिहासिक और सामाजिक विशेषज्ञों ने भी अपनी राय दी है। उनका कहना है कि भारत का विभाजन एक जटिल और ऐतिहासिक घटना थी, जिसमें कई राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारण थे। गांधीजी के विचारों ने निश्चित रूप से भारत में एकता बनाए रखने में मदद की, लेकिन विभाजन के कारणों में अन्य तत्व भी शामिल थे।