आर्टिकल 370 के प्रस्ताव पर फंस गई कांग्रेस, विधानसभा में खुलकर नहीं कर पा रही सपोर्ट और विरोध
आर्टिकल 370, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था, के निरस्तीकरण के बाद से भारतीय राजनीति में कई नए समीकरण बन गए हैं। हाल ही में इस विषय पर चर्चा विधानसभा में उठी है, लेकिन कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर खुलकर समर्थन या विरोध करने में असमर्थ नजर आ रही है। आइए इस स्थिति के विभिन्न पहलुओं पर नजर डालते हैं।
स्थिति का विश्लेषण:
- राजनीतिक असमंजस: आर्टिकल 370 का निरस्तीकरण एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसने राजनीतिक दलों के बीच गंभीर विभाजन पैदा किया है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर स्पष्ट स्थिति नहीं ले पा रही है, जिसके कारण पार्टी के भीतर मतभेद भी उभरकर सामने आए हैं।
- विधानसभा में चर्चा: जब विधानसभा में आर्टिकल 370 के विषय पर चर्चा की गई, तो कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से न तो समर्थन किया और न ही विरोध। पार्टी के कई नेता इस मुद्दे पर अलग-अलग राय व्यक्त कर रहे हैं, जिससे पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं।
- जनता की राय: कांग्रेस को यह चिंता है कि यदि वे इस मुद्दे पर खुलकर समर्थन करते हैं, तो इससे उनके मौजूदा आधार को नुकसान पहुंच सकता है, खासकर जम्मू और कश्मीर में। दूसरी ओर, यदि वे इसका विरोध करते हैं, तो यह उनकी पार्टी की राष्ट्रीय छवि को प्रभावित कर सकता है।
- भाजपा का दबाव: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आर्टिकल 370 को निरस्त करने को लेकर अपनी स्थिति को स्पष्ट किया है, और कांग्रेस पर यह आरोप लगाया है कि वे इस मुद्दे पर अस्पष्टता दिखा रहे हैं। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस को अपने रुख को स्पष्ट करना चाहिए और जनता को यह बताना चाहिए कि वे किस ओर खड़े हैं।
- संविधान और राष्ट्रीय एकता: कांग्रेस के कुछ नेता यह भी तर्क दे रहे हैं कि आर्टिकल 370 की स्थिति पर चर्चा करना देश की एकता और अखंडता के लिए आवश्यक है। हालांकि, इस पर भी पार्टी के भीतर मतभेद नजर आ रहे हैं, जिसके कारण यह मुद्दा और भी जटिल हो गया है।